Fairs and festivals of Shimla शिमला जिले में आयोजित होने वाले प्रसिद्ध मेले

Fairs and festivals of Shimla शिमला जिले में आयोजित होने वाले प्रसिद्ध मेले

शिमला जिला, हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ अपने समृद्ध सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर के लिए भी जाना जाता है। यहाँ के मेले और त्योहार न केवल स्थानीय समुदायों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बल्कि ये हिमाचल प्रदेश की रंगीन और विविधतापूर्ण संस्कृति को भी दर्शाते हैं। इन मेलों और त्योहारों के माध्यम से स्थानीय लोग अपनी परंपराओं, लोक कथाओं और धार्मिक विश्वासों को सजीव रखते हैं।

शिमला जिले में मनाए जाने वाले प्रमुख मेले और त्योहार न केवल धार्मिक आस्था और उत्सव के प्रतीक हैं, बल्कि ये स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करते हैं, क्योंकि इन आयोजनों के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इस लेख में हम शिमला जिले के प्रमुख मेलों और त्योहारों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करेंगे, जो न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि अपने अनूठे और जीवंत उत्सवधर्मिता के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध हैं।

ग्रीष्म महोत्सव Fairs and festivals of Shimla

यह मेला शिमला शहर का एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुका एक मेला है यह शिमला शहर में हर वर्ष मई और जून के महीने में आयोजित होता है यह मेला यहां का एक प्रमुख सांस्कृतिक मेला है, जिसमें हिमाचल प्रदेश की कला व संस्कृति को प्रदर्शित किया जाता है इस मेले का मुख्य आकर्षण शिमला जिले के पकवान, शिमला जिले का खानपान और बागवानी उत्पाद है, जिनको पिछले कुछ सालों से इस मेले में प्रदर्शित किया जा रहा है

शरद खेल महोत्सव

यह खेल महोत्सव शिमला में मनाया जाता है, इस मेले में फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता, जिमखाना ,आइस हॉकी और नृत्य प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जाती हैं ‘शिमला’ पूरे एशिया में एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर प्राकृतिक रूप से आइस स्केटिंग रिंक का निर्माण होता है इस आइस स्केटिंग रिंक में दर्शकों और खिलाड़ियों के आनंद की पूर्ण सुविधा उपलब्ध है यह मेला व महोत्सव दिसंबर माह में शुरू होता है और फरवरी माह तक चलता है आज यह महोत्सव भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुका है

महासू मेला या महासू जातर

यह मेला शिमला जिले के महासू गांव में मनाया जाता है यह मेला अप्रैल माह में आयोजित किया जाता है इस मेले में शिमला क्षेत्र के बहुत से लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं यह मेला यहां के दुर्गा माता मंदिर प्रांगण में आयोजित किया जाता है मान्यता यह है कि बडोली का राजा महासू के नजदीक चकरौथ नामक स्थान पर रहता था

कालांतर में जब जागीर प्रथा समाप्त हो गई थी, तब उस राजा ने वह गांव छोड़ दिया तब ग्रामीणों ने अपने गांव में स्वयं मां दुर्गा मंदिर का निर्माण कर दिया इसी की पवित्रता को कायम रखने के लिए आज भी महासू जातर का मेला आयोजित किया जाता है इस मेले का मुख्य आकर्षण यहां पर आयोजित की जाने वाली प्रतिस्पर्धाए तीरंदाजी, लोक नृत्य और नाटी है

हलोग का पत्थर का खेल Fairs and festivals of Shimla

हलोग नामक स्थान शिमला जिले में स्थित है, इसी स्थान पर यह पत्थर का खेल खेला जाता है प्राचीन काल में धामी रियासत की राजधानी हलोग थी यह मेला महापर्व दीपावली के दूसरे दिन आयोजित किया जाता है प्राचीन काल में इस मेले में नरबलि दी जाती थी, जो पूर्ण रूप से काली मां को अर्पित थी एक कथा के अनुसार एक बार यहां के स्थानीय राजा की विधवा यहां सती हो गई थी तथा उसी के बाद प्रतिवर्ष इस स्थल पर नरबलि दी जाने लगी, परंतु कुछ समय के बाद नरबलि पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई और पत्थर मारने का खेल शुरू कर दिया गया

इस खेल में दो दल होते हैं ,जो एक दूसरे पर पत्थर मारते हैं इस खेल में पत्थर मारने से लोगों को जो घाव होते हैं, उनसे खून इकट्ठा किया जाता है और मां काली को अर्पित किया जाता है समय के साथ-साथ अब इस मेले की प्रकृति में परिवर्तन हो रहा है और वर्तमान समय में पत्थर का खेल सांकेतिक रूप में मनाया जाता है

सिप्पी मेला Fairs and festivals of Shimla

यह मेला शिमला जिले में स्थित मशोबरा के एक छोटे से गांव सिंहपुर में आयोजित किया जाता है यह मेला एक बहुत प्राचीन मेला है यह मेला स्थानीय देवता ‘सिप्प देवता’ को समर्पित है जो मई के माह में आयोजित होता है इस मेले में नजदीकी क्षेत्र के हजारों लोग भाग लेते हैं इस मेले में तीरंदाजी, जादूगरी के खेल, कुश्ती, कलाबाजी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और कई अन्य आकर्षक गतिविधियां आयोजित की जाती है, जो दर्शकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र होती है

रोहड़ू मेला Fairs and festivals of Shimla

यह मिला शिमला जिले के पब्बर नदी के किनारे बसे प्रकृतिक सुंदरता को सहेजे हुए रोहड़ू नामक स्थान में आयोजित किया जाता है यह मेला 9 और 10 वैशाख को मनाया जाता है यह मेला इस स्थान के ‘शिकरु देवता जी’ के सम्मान में आयोजित किया जाता है यह मेला स्थानीय देवता के सम्मान और उनकी सत्ता के प्रति आदर का प्रतीक है इस मेले में विभिन्न व्यापारिक गतिविधियां भी चलती हैं और साथ में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है क्षेत्रवासी पारंपरिक और आकर्षक परिधान पहनकर मेले की शोभा को चार चांद लगाते हैं

भोज मेला Fairs and festivals of Shimla

यह मेला शिमला जिले में स्थित रोहड़ू तहसील के ‘गुम्मा’ नामक गांव में मनाया जाता है यह मेला नवंबर माह में आयोजित होता है और 3 दिन तक चलता है यह मेला देवताओं के प्रति आस्था और सम्मान का प्रतीक है इस मेले में नाटी का आयोजन किया जाता हैयह मेला तीन देवता परशुराम, बानसोर और किलबारू के सम्मान में आयोजित होता है

भराडा मेला Fairs and festivals of Shimla

यह मेला शिमला जिले में स्थित कुमारसेन तहसील के नजदीक भराडा नामक गांव में आयोजित किया जाता है यह मेला मई माह में होता है यह मेला एक प्राचीन मेला है, जिसमें स्थानीय देवता ‘कोटेश्वर जी’ को पालकी में लाया जाता है और उनके आगमन की खुशी में स्थानीय लोगों द्वारा पारंपरिक नृत्य नाटी का आयोजन किया जाता है इस मेले में सभी जाति, रंग, नस्ल और धर्म के लोग भाग लेते हैं

लवी मेला रामपुर बुशहर Fairs and festivals of Shimla

यह मिला शिमला जिले में स्थित रामपुर बुशहर नामक स्थान पर आयोजित किया जाता है यह लवी मेला शिमला जिले का सबसे बड़ा व्यापारिक मिला है जिसका आयोजन प्रतिवर्ष 11 से 14 नवंबर तक किया जाता है इतिहास के अनुसार इस मेले का सर्वप्रथम आयोजन बुशहर वह तिब्बत के राजाओं के बीच हुई व्यापारिक संधि के बाद किया गया था

इस मेले में ऊन तथा ऊन से बने वस्त्र, सूखे मेवे, जड़ी बूटियां, अनाज, दालें, कपड़े, बर्तन इत्यादि का व्यापार होता है इसी के साथ इस मेले में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाच गाना और कई प्रकार के खेलों का भी आयोजन किया जाता है इस मेले में अलग अलग नस्ल के घोड़े का व्यापार भी किया जाता है

रियाली महोत्सव शिमला Fairs and festivals of Shimla

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बरसात के मौसम में मनाया जाने वाला यह रियाली त्यौहार इस स्थान में एक विशेष महत्व रखता है। क्यूंकि यहाँ के अधिकांश लोग कृषि करके अपनी आजीविका और जीवन यापन करते हैं,  जिसके लिए बारिश होना अत्यावश्यक है। बारिश के देवता को प्रसन्न रखने के लिए शिमला में यह रियाली उत्सव मनाया जाता है ताकि कृषि उपज अधिक मात्रा में हो। रियाली त्योहार जुलाई महीने के पहले दिन मनाया जाता है। यह शिमला में मानसून के आगमन की औपचारिक घोषणा होती है।

पारंपरिक समारोह उत्सव से लगभग दस दिन पहले पांच से सात प्रकार की विभिन्न फसलों जैसे गेहूं, जौ आदि के बीज बोने से शुरू होता है। यह अनुष्ठान आमतौर पर परिवार का मुखिया या पुजारी करता है। इन बीजों को एक छोटी टोकरी में बोया जाता है जिसे मिट्टी से भर दिया जाता है और घर के पास या ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहां भगवान की मूर्तियां रखी जाती हैं

रियाली महोत्सव से एक दिन पहले भगवान शिव और माँ पार्वती के विवाह का आयोजन किया जाता है। भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियों को फूल और फल चढ़ाए जाते हैं। प्रार्थनाएँ और मंत्रों का जाप किया जाता है। रियाली महोत्सव को शहर में मानसून के आधिकारिक आगमन के रूप में माना जाता है

नोट: Folktales by Himsuchna पर हम पूरी जिम्मेदारी के साथ लिखते हैं. एकत्रित जानकारी,विभिन्न जनश्रुति से तथा इतिहास के लेखों से जुटाए गई है. यदि आपको इसमें कोई त्रुटि लगे और आप उसको सुधारने में हमारी सहायता करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. अनजाने में हमारे द्वारा हुई त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं हमसे जुड़ने के लिए आप Contact Us पेज पर जाएं

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