Devdhank Nirmand – देवढांक ‘श्री ढंकेश्वर महादेव’ एक अद्भुत और अलौकिक शिवालय

गुल्मैः पिप्पलप्लव विल्व वटकैराकीर्णिता सर्वतः,
द्वारं संकरतामयं ह्यनुपमं वातायनानां त्रिकम् ।
गौरी शुण्डमुखादयः परिजनाः मध्ये सुखं संस्थिताः,
धाराप्लावित शेखरं गतर्गुहं ढकेश्वरं संस्मरे ।

Devdhank शिव मंदिर व् श्री ढंकेश्वर महादेव, कुल्लू जिला के निरमंड से 2 किलोमीटर पूर्व स्थित है। इस शिवालय तक पहुँचने के लिए रामपुर बुशेहर से बस व गाडी के माध्यम से आया जाता है। यह मंदिर प्राकृतिक सुंदरता की एक अनूठी पहचान है। इस मंदिर को यदि प्राकृतिक शिव मंदिर बोला जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस मंदिर में एक शिवलिंग है, जिसके ऊपर स्वत: ही जल अभिषेक होता रहता है, इस जल की धार ना कभी चौड़ी होती है और ना ही कभी घटती है। इस मंदिर में शिव की बायीं ओर पार्वती जी और दाहिनी ओर गणपति जी दीवार में अंकित हैं। शिवलिंग के ऊपर सर्प के फन जैसी बनावट है, जिससे इस शिवलिंग पर स्वत: ही जल अभिषेक चिरकाल से होता आ रहा है। इसी के साथ कार्तिक स्वामी, श्रृंगी, भृंगी सहित अनेक देवता इस गुफा के भीतर विराजमान है।

पहाड़ो में लोकप्रिय शिव स्वरुप का वर्णन

त्रिलोकीनाथ जगतपति परमेश्वर देवों के देव महादेव को पूरी दुनिया में आस्था के साथ स्मरण करके उनकी पूजा अर्चना की जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अपनी परंपराओं का निर्वहन करके अलग-अलग स्वरूप में महादेव भोलेनाथ की पूजा की जाती है। इसी कदर हिमाचल प्रदेश में भी कुछ रमणीय और विभिन्न तरीकों से शिव के अलग स्वरूप को पूजा जाता है। इसकी एक झलक तो हमें महाशिवरात्रि और महाशिवरात्रि से एक महीने पूर्व मनाए जाने वाली छोटी शिवरात्रि (जिसे शिव पार्वती की मंगनी के रूप में मनाया जाता है) में देखने को मिलती है.

हिमाचल प्रदेश के लोगों में भोलेनाथ के प्रति अटूट आस्था रहती है, हिमालय के नजदीक रहने के आशीर्वाद स्वरुप हिमाचल वासियों को यह सौभाग्य प्राप्त है। महादेव के प्रति अपनी निष्ठा और भक्ति को अनेकों त्यौहार मना कर उनके प्रति अनेक अनुष्ठान करके तथा विभिन्न खस्मों को जैसे की शिवरात्रि आदि पर व्रत रखकर उसका परिचय देते हैं। हिमाचल प्रदेश में ऐसी अनेकों जगह है जहां से आपको प्राचीन रमणीय इतिहास की जानकारी मिलेगी जो आपको रोमांचित कर देगा, उन्ही में से एक है देवढांक गुफा मंदिर।

हिमाचल के रोचक मंदिरों और गुफाओं का आनंद

श्री ढंकेश्वर महादेव जोकि आमतौर पर देवढांक नाम से लोकप्रिय है, श्री महादेव का एक प्रिय स्थान है। जिला कुल्लू के निरमंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस मंदिर के प्रति लोगों में अटूट आस्था श्रद्धा और विश्वास है। श्रीखण्ड महादेव के जैसे ही यह भी एक अद्भुत स्थल है जहाँ पर आप अद्भुत चमत्कारी शिवलिंग और शिवलिंग के हो रहे लगातार अभिषेक को देखकर अभिभूत रह जाएँगे इस स्यथान पर आकर आप बुद्धि का इस्तेमाल करके मंदिर में हो रही गतिविधिओं को नहीं समझ सकते आपको समर्पण भाव के साथ महादेव के दर्शन करने चाहिए और इस अनोखे मंदिर का आनंद लेना चाहिए

यदि कोई प्रमाणिकता की जांच करना चाहे तो उसे शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में जरूर आना चाहिए। न केवल निरमंड बल्कि अन्य कई जिलों से यहां पर श्रद्धालुदर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करने के लिए अथवा पूर्ण होने उपरांत भी जरूर माथा टेकने आते हैं। तो चलिए श्री महादेव के गुणगान का और अच्छे से बखान करें और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करें ।

देवढांक व् श्री ढंकेश्वर महादेव की महत्वता

यह मंदिर प्राकृतिक रूप से एक गुफा के भीतर बना हुआ प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के प्रौढ़(भीतर जाने का रास्ता) के पास भीतर को नंदी महाराज विद्यमान है। इस शिवालय के भीतर जाने का रास्ता बहुत तंग है। इसमें प्राकृतिक रूप से द्वार और तीन झरोखे बने हुए हैं। इसके भीतर प्राकृतिक रूप से एक तंग नाली बनी है जिससे पानी आता रहता है। एक जनश्रुति के अनुसार यह स्त्रोत नैन सरोवर से पर्वत श्रेणी के बीचों बीच रास्ता बनाता हुआ इस शिवालय में पहुंचता है। यह शिवालय ढांक अर्थात शैलों के भीतर बसा हुआ है। जिस वजह से इसे ‘ढंकेश्वर महादेव’ कहा जाता है और स्थानीय लोग इस स्थान को ‘देवढांक’ कहते हैं।

Devdhank Nirmand

देवढांक गुफा मंदिर का प्राचीन इतिहास

इस गुफा के भीतर एक संकरी कंदरा है, जिसमें पत्थर फेंकने पर डमरू जैसी ध्वनि निकलती है। इस शिवालय के समीप एक प्राचीन गुफा भी है, कहा जाता है कि जब भस्मासुर भगवान शिव का पीछा कर रहा था तब भगवान शिव भागते हुए इस देवढांक नामक स्थान पर पहुंचे थे और उस गुफा होते हुए श्रीखंड गए थे। शिवालय के पूर्वी भाग में शैलों के बीचों बीच एक जगह पानी का बहुत अच्छा स्रोत है, जो चिरकाल से चला आ रहा है। मान्यता है कि इस जल को पीने दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है व चर्म रोग आदि व्याधियां दूर हो जाती है। परंतु इस चश्मे तक पहुंचाना बहुत साहस का काम है। इस शिव गुफा के साथ बढ़, पीपल, गूलर, शीशम आदि वृक्ष है साथ ही बेलपत्र, आम, आमला आदि के वृक्ष भी इस मंदिर में विद्यमान है। जिनकी वजह से यह शिवालय बहुत ही रमणीक दिखाई देता है। इस मंदिर में बंदरों का भी अधिक बोलबाला है।

पापी और अधर्मी की पहचान करती है Devdhank गुफा

यहां पर भोलेनाथ गुफा में विराजमान है जहां पर उनका लगातार जलाभिषेक होता रहता है जो कि अपने आप में एक रहस्य है। लेकिन इससे भी विशाल रहस्यमय है, गुफा में विराजमान भोलेनाथ तक पहुंचाने का रास्ता। आपको महादेव के दर्शन करने के लिए एक संकरी गुफा से जाना होता है जोकि एक छोटे बच्चों के जाने लायक ही है। लेकिन यदि आप समर्पण भाव के साथ सच्चे मन से श्रद्धापूर्वक मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं तो आप आसानी से गुफा के अंदर प्रवेश करके भोलेनाथ के दर्शन कर सकेंगे।

लेकिन जो श्रद्धालु परीक्षा के उद्देश्य से और अपूर्ण श्रद्धा से मंदिर आते हैं तथा अहंकार युक्त मन के साथ दर्शनार्थियों की पंक्ति में खड़े होकर दर्शन करने की अभिलाषा रखते हैं, तो उनका इस गुफा में जाना संभव नहीं है। इतनी पतली गुफा में अंदर जाकर कैसे बाहर आया जाता है यह अपने आप में ही एक चमत्कार है। आपको भी इस गुफा से जाकर एक बार भोलेनाथ की जरूर दर्शन करने चाहिए तथा एक बार जरूर महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

हर वर्ष शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में कीर्तन भजन व भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस दिन यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। इस स्थान में आने पर मानसिक वृतियां स्थिर और शांत हो जाती है। मन स्वयं ही प्रभु की भक्ति में लीन हो जाता है। यहां पर रहने से जीवन तपोमय हो जाता है।

 

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